महाभारत में कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से किया था। जब कंस को ये मालूम हुआ की देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान उसकी मौत का कारण बनेगी तो कंस ने इन दोनों को कारगार में बंद कर दिया था। इसके बाद कंस ने देवकी-वासुदेव की सात संतानों का वध कर दिया। आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।
भगवान विष्णु ने अपनी माया से श्रीकृष्ण को वासुदेव की मदद से यशोदा और नंदबाबा के घर पहुंचा दिया था। इसके बाद कंस को मालूम हुआ कि उसकी मृत्यु का कारण देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान ने जन्म ले लिया है और वह गोकुल-वृंदावन क्षेत्र में है। तब कंस ने गोकुल में कई राक्षसों को बालकृष्ण को मारने के लिए भेजा था।
सबसे पहले किया पुतना का वध
कंस ने सबसे पहले पुतना नाम की राक्षसी को कृष्ण को मारने के लिए भेजा था। पुतना कृष्ण को स्तनपान कराते समय विष देकर मार डालना चाहती थी। पुतना सुंदर स्त्री के वेश में पहुंची और बालकृष्ण को स्तनपान कराने लगी। कृष्ण ने स्तनपान करते समय ही पुतना का वध कर दिया।
पुतना के बाद तृणावर्त का वध
पुतना के वध का समाचार सुनकर कंस ने तृणावर्त नाम के राक्षस को भेजा। ये बवंडर का रूप धारण करके बड़े-बड़े पेड़ों को भी उखाड़ देता है। तृणावर्त बवंडर के रूप में पहुंचा और बालकृष्ण को भी उड़ा ले गया। तब कृष्ण ने अपना भार बहुत बड़ा दिया, जिसे तृणावर्त संभाल नहीं सका। बवंडर शांत होने के बाद में कृष्ण ने तृणावर्त का वध कर दिया।
तृणावर्त के बाद कंस ने वत्सासुर को भेजा
पुतना और तृणावर्त के बाद कंस ने वत्सासुर नाम के राक्षस को भेजा। वत्सासुर बछड़े का रूप धारण करके कृष्ण की गायों में शामिल हो गया। बालक कृष्ण ने बछड़े के रूप में दैत्य को पहचान लिया। बछड़े के रूप में वत्सासुर की पूंछ पकड़ कर उसके पटककर मार डाला।
बगुले के रूप में आया बकासुर
कंस ने वत्सासुर के बाद बकासुर को कृष्ण को मारने के भेजा। बकासुर ने बगुले का रूप धारण किया और कृष्ण के गांव पहुंच गया। बगुले ने बाल कृष्ण को निगल लिया था। कृष्ण ने बगुले को चीरकर बकासुर का वध कर दिया।
पुतना और बकासुर का छोटा भाई था अघासुर
अघासुर पुतना और बकासुर का छोटा भाई था। कंस ने अघासुर को कृष्ण को मारने के लिए भेजा। अघासुर ने बहुत बड़े अजगर का रूप धारण किया। जहां कृष्ण अपने मित्रों के साथ खेलते थे, वहीं ये अजगर मुंह खोलकर गुफा के समान बन गया। कृष्ण के सभी मित्रों को लगा कि ये कोई गुफा है। गुफा खेलने के लिए कृष्ण और उनके साथी अघासुर के मुंह में प्रवेश कर गए। इसके बाद अजगर ने अपना मुंह बंद कर लिया। तब श्रीकृष्ण ने अपना शरीर विशाल कर लिया और अघासुर का वध करके सभी साथियों को बचा लिया।
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