अभी अगहन मास चल रहा है। इस मार्गशीर्ष माह भी कहते हैं। सभी 12 मासों में इस माह को श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है। इस माह में सुबह जल्दी उठकर नदी स्नान करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अभी शीत ऋतु चल रही है। इस मौसम में सुबह जल्दी उठने से शरीर को प्रकृति से स्वास्थ्य को लाभ मिलते हैं। आलस्य दूर होता है। सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए।
तांबे के लोटे में जल भरें और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए जल सूर्य को अर्पित करें। कुछ देर सूर्य की रोशनी जरूर बैठना चाहिए। इससे हमें विटामिन डी मिलता है और ठंड से लड़ने के लिए शरीर में गर्मी बनी रहती है।
सूर्य पूजा के बाद किसी मंदिर में या अपने घर में शिवलिंग पर भी जल चढ़ाना चाहिए। शिवजी को बिल्व पत्र, धतूरा, फूल, चावल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही, धूप-दीप जलाकर आरती करें।
अगर आप चाहें तो हनुमानजी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 कर सकते हैं।
भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाएं और दीप जलाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें। लड्डू का भोग लगाएं।
अभी ठंड के दिनों में जरूरतमंद लोगों को कंबल, ऊनी वस्त्र दान करें। धन और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में घास और धन का दान करें।
अभी खाने में ऐसी चीजें शामिल करें जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं। मौसमी फल खाएं। मोटे अनाज का सेवन करें। हल्दी वाला दूध पीएं। गुड़ का सेवन करें। इन बातों का ध्यान रखेंगे तो अगहन मास में धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकते हैं।
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