हर साल पितृ पक्ष की अमावस्या के बाद से ही आश्विन मास की नवरात्रि शुरू हो जाती है। लेकिन, इस साल ऐसा नहीं होगा। 17 सितंबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या है। इसके बाद 18 तारीख से अधिकमास शुरू हो जाएगा। ये माह 16 अक्टूबर तक रहेगा। इस माह में कोई बड़ा त्योहार नहीं रहेगा। 17 अक्टूबर को घट स्थापना के साथ नवरात्रि शुरू होगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार 19 साल बाद आश्विन माह का अधिकमास रहेगा। इससे पहले 2001 में ये माह आया था। 17 से 25 अक्टूबर तक नवरात्रि, 26 अक्टूबर को दशहरा और 14 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। श्राद्ध पक्ष के बाद अधिकमास में कोई भी बड़ा त्योहार नहीं रहेगा। इस माह में चतुर्थी (20 सितंबर और 5 अक्टूबर), एकादशी (27 सितंबर और 13 अक्टूबर), पूर्णिमा (1 अक्टूबर) और अमावस्या (16 अक्टूबर) विशेष तिथियां रहेंगी।
कब और क्यों आता है अधिकमास
पं. शर्मा के मुताबिक एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, जबकि एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का रहता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर है। ये अंतर हर तीन साल में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिसे अधिकमास कहा जाता है।
अधिकमास से बनी रहती है त्योहारों की व्यवस्था
हिन्दी पंचांग में अधिकमास का महत्व काफी अधिक है। इस माह के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। अगर अधिकमास नहीं होता तो हमारे त्योहारों की व्यवस्था बिगड़ जाती है। अधिकमास की वजह से ही सभी त्योहारों अपने सही समय पर मनाए जाते हैं।
अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है
अधिकमास को मलमास यानी मलिन मास माना गया है, इस वजह से कोई भी देवता इस मास का स्वामी बनना नहीं चाहता था। तब मलमास ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। मलमास की प्रार्थना सुनकर विष्णुजी ने इसे अपना श्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम प्रदान किया। इसी वजह से इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस माह में भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने की परंपरा है।
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