अक्षय कुमार आज 53 साल के हो गए। उनका जन्म 9 सितंबर 1967 को पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ था। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1991 में रिलीज हुई फिल्म 'सौगंध' से की थी। अक्षय के जन्मदिन के मौके पर उनकी फिल्म 'पैडमैन' के डायरेक्टर आर. बाल्की ने अभिनेता से जुड़ी खास बातें दैनिक भास्कर के साथ शेयर कीं।
बाल्की ने बताया, 'हमारी पहली मुलाकात 'पैडमैन' के दौरान ही हुई थी, जब उन्होंने मुझे फिल्म बनाने के लिए बुलाया था। वो ऊपरी तौर पर भले ही मजाकिया और केयरफ्री दिखते हों, पर भीतर से वो स्क्रिप्टों को पकड़ने में बड़े शार्प हैं। स्क्रीनप्ले, सीन या डायलॉग पसंद ना आने पर वो आपको आपके सामने मुंह पर बोल देंगे। वो स्ट्रेट फॉरवर्ड हैं। उनके क्रिएटिव इनपुट कमाल के होते हैं।'
अक्षय का था बालकनी वाले सीन का आइडिया
बाल्की ने बताया, 'पैडमैन में जैसे एक सीन है। जिसमें एक टीनएज किशोरी का पीरियड शुरू हुआ है और इसकी सेरेमनी चल रही है। वहां मैंने सीन लिखा था कि अक्षय उस सेरेमेनी में सबके सामने जाकर उस किशोरी को नैपकिन देंगे और वहां मौजूद लोगों के लिए वो सरप्राइज होगा।'
'पर अक्षय ने इनपुट दिया कि सबके सामने जाने से वो जरा कम ड्रामेटिक लगेगा। इसकी बजाय सेरेमनी से एक रात पहले वो बालकनी लांघकर चुपके से नैपकिन किशोरी को देंगे। उसी समय उसकी मां उसे ऐसा करते हुए देख ले और पूरा मोहल्ला जगा दे तो इससे सीन में ज्यादा ड्रामा आ जाएगा'
'अक्षय को क्लास और मास दोनों की समझ'
बाल्की के मुताबिक 'उन्हें क्लास और मास दोनों फिल्मों की समझ है। वो बस ऑडियंस को ही ध्यान में रखकर हर फिल्म को मास बनाने के चक्कर में नहीं रहते हैं। ‘पैडमैन’ पीरियड्स के टॉपिक पर थी। उसका ट्रीटमेंट संजीदा रखना था। वहां उन्होंने भी फिल्म को सो-कॉल्ड मास ऑडियंस के टेस्ट के हिसाब से बनाने पर जोर नहीं दिया। वो ऐसा नहीं सोचते कि हर फिल्म मास या मसाला वाली ही होनी चाहिए।'
'हर सीन के बाद जोक क्रैक करते हैं'
आगे बाल्की ने कहा, 'सेट पर उनकी आदतें मजेदार होती हैं। वो हर टेक के बाद ओके तो बोलेंगे, मगर उसके बाद वो जोक क्रैक करेंगे ही। खासतौर पर उनका जो लास्ट टेक होगा, उसके बाद तो वो जोक क्रैक करेंगे ही। कुछ न कुछ मिसचीफ करेंगे ही। सुबह पांच बजे सेट पर आ जाते हैं और आठ से दस घंटे काम करते हैं।'
उन्होंने बताया, 'शायद कम लोगों को पता हो कि वो हर मिनट शॉट के दौरान सीन के बारे में ही सोचते रहते हैं। वो बहुत वर्कोहोलिक हैं। वो पार्टी पर्सन नहीं हैं। काम और फिटनेस पर ही केंद्रित रहते हैं। मैंने तो कई बार उनसे कहा भी कि अपना बर्थ सर्टिफिकेट आप दिखाएं कि आप वाकई 50 प्लस हैं।'
'वे अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझते हैं'
बाल्की ने बताया, 'वो इतने फिट और फैबुलस जो हैं। एनर्जी से फुल रहते हैं। वो मेकअप इस्तेमाल नहीं करते। पूरी फिल्म में उनकी आंख पर एक टचअप तक मैंने नहीं देखा, जो कभी उन्होंने यूज किया हो। वो किसी पर चिल्लाते नहीं। हंसते-हंसाते काम करवा लेते हैं। स्टार का वाइव ही नहीं देते। कभी हवा में नहीं उड़ते।'
'वो अपने स्टंट भी खुद ही करते हैं। बाकी एक्टर्स के मुकाबले बॉडी डबल कम ही यूज करते हैं। मगर वो लापरवाही से ये सब नहीं करते, क्योंकि उन्हें पता है कि उन पर प्रोड्यूसर्स का कितना दांव लगा हुआ है। वो सब कुछ इस बात को ध्यान में रखते हुए करते हैं कि उन्हें चोट लगने से प्रोड्यूसर और पूरी यूनिट का नुकसान हो सकता है। तो वो दुस्साहस वाले स्टंट सोच समझकर करते हैं। बहुत सावधानी बरतते हैं।'
'सोशल मैसेज के लिए निकले थे घर से बाहर'
'लॉकडाउन में भी जब उन्होंने सरकार के कैंपेन के लिए घर से बाहर कदम रखा था, वहां भी उन्होंने काफी सावधानी बरती थी। उन्होंने घर से बाहर कदम रख स्टूडियो का रुख इसलिए किया कि कैंपेन में ‘काम पर निकलने’ का मैसेज था। उस मैसेज को घर पर बैठकर वो कैसे जाहिर कर सकते थे। लिहाजा वहां भी उन्होंने कैल्कुलेटेड रिस्क लिया। स्टूडियो गए और शूट किया। आज उसका असर देखा जा रहा है। और भी लोग शूट पर बाहर निकल रहे हैं।'
'एक टेक में बोला था छह पेज का डायलॉग'
आगे उन्होंने कहा, 'रहा सवाल उन अफवाहों का कि वो डायलॉग भूल जाते हैं, इसमें सच्चाई नहीं है। पैडमैन के क्लाइमेक्स में जो स्पीच वाला सीन है वो 13 मिनट का है। छह पन्नों के डायलॉग वाला वो सीन तीन कैमरे से शूट किया गया था। सिर्फ एक ही टेक में हमने शूट कर लिया था। कहीं भी एक भी कट नहीं है। कोई कैमरा मूवमेंट नहीं था। फिल्म का सोल था वो। एक टेक में जो आदमी छह पेज के डायलॉग को चेहरे पर एक्सप्रेशन लाते हुए परफॉर्म कर दे, उसकी याददाश्त समझी जा सकती है।'
(जैसा अमित कर्ण से शेयर किया)
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