भारत में चार प्रमुख सूर्य मंदिर हैं। उड़ीसा, गुजरात, राजस्था और कश्मीर में। उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा को मोढेरा सूर्य मंदिर, राजस्थान के झालरापाटन का सूर्य मंदिर और कश्मीर का मार्तंड मंदिर। उड़ीसा, गुजरात और राजस्थान के सूर्य मंदिर तो फिर भी बेहतर स्थिति में हैं लेकिन कश्मीर का मार्तंड सूर्य मंदिर के सिर्फ अवशेष ही बचे हैं।
माना जाता है कि 7वीं-8वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को मुगल आक्रमणकारियों ने खासा नुकसान पहुंचाया था। पहले ये मंदिर काफी समृद्ध और सूर्य उपासकों के लिए आस्था का केंद्र हुआ करता था। लेकिन, कहा जाता है मुगल काल में इस मंदिर पर कई बार आक्रमण हुए। इसलिए, आज ये मंदिर अब सिर्फ अवशेष जैसी अवस्था में है। हालांकि, इस मंदिर का मूल निर्माण 1700 साल पहले का माना जाता है।

मार्तंड मंदिर कश्मीर के दक्षिणी भाग में अनंतनाग से पहलगाम के रास्ते में मार्तण्ड नामक स्थान पर है। इसे कारकोटा राजवंश के शासक ललितादित्य ने आठवी शताब्दी में बनवाया था। इस मंदिर पर गांधार और गुप्त शैली का प्रभाव है। कारकोटा राजवंश कश्यप और अदिति की नागवंशी संतान कर्कोटक के वंशज या उपासक माने जाते हैं।

मार्तंड सूर्य मंदिर का निर्माण मध्यकालीन युग में 7वीं से 8वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। सूर्य राजवंश के राजा ललितादित्य ने इस मंदिर का निर्माण एक छोटे से शहर अनंतनाग के पास एक पहाड़ी पर करवाया था। इसकी गणना ललितादित्य के प्रमुख कार्यों में की जाती है।

इसमें 84 स्तंभ हैं जो नियमित अंतराल पर रखे गए हैं। इस मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है जो उस समय के कलाकारों की कुशलता को दर्शाता है। इस मंदिर की राजसी वास्तुकला इसे अलग बनाती है।

इस मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है जो उस समय के कलाकारों की कुशलता को दर्शाता है। इस मंदिर की राजसी वास्तुकला इसे अलग बनाती है। बर्फ से ढंके हुए पहाड़ों की पृष्ठभूमि के साथ केंद्र में यह मंदिर इस स्थान का करिश्मा ही कहा जाएगा। इस मंदिर से कश्मीर घाटी का मनोरम दृश्य भी देखा जा सकता है।
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